वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत सय्यद शरफ़ उद्दीन क़िताल

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत २१ रमज़ान ६२०हिज्री को बुख़ारा में हुई। हज़रत सय्यद शरफ़ उद्दीन क़िताल रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत सय्यद अबदूर्रज़्ज़ाक़ गिलानी रहमतुह अल्लाह अलैहि के ख़लीफ़ा थे।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि १६शाबान ७११हिज्री को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए।

नोट:। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हालात-ए-ज़िंदगी बावजूद कोशिश के कहीं से नहीं मिल सके।क़दीम कुतुब में जो कुछ मिला मैंने लिख दिया। अगर किसी साहिब के पास हूँ तो "राबिता करें" को क्लिक करके हमारे साथ राबिता क़ायम करें और इस कार-ए-ख़ैर में हिस्सादार बने। या नीचे दिए गए ई मेल ऐडरैस पर राबिता करें।

इसरार-उल-हक़

Israr Ul Haq

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